भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रार्थना / अजेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem> ईश्वर मेरे दोस्त मेरे पास आ ! यहाँ बैठ बीड़ी पिलाऊँगा चाय पीत…)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
<poem>  
 
<poem>  
 +
 
ईश्वर  
 
ईश्वर  
 
मेरे दोस्त  
 
मेरे दोस्त  
पंक्ति 12: पंक्ति 13:
  
 
फिर न जाने कब फुर्सत होगी !  
 
फिर न जाने कब फुर्सत होगी !  
 +
 
1992  
 
1992  
 
</poem>
 
</poem>

17:26, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण

 

ईश्वर
मेरे दोस्त
मेरे पास आ !
यहाँ बैठ
बीड़ी पिलाऊँगा
चाय पीते हैं

इतने दिन हो गए
आज तुम्हारी गोद में सोऊँगा
तुम मुझे परियों की कहानी सुनाना

फिर न जाने कब फुर्सत होगी !

1992