गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तू / ओएनवी कुरुप
26 bytes added
,
19:42, 22 अप्रैल 2011
यहाँ पहुँचते वसंत की जीभ को
तूने उखाड़ दिया और
चिडियों
चिड़ियों
के चोंच से
कोई आवाज़ नहीं निकलती
तू साँस लेता है हवा में
और पेयजल में
और इनमें
मृत्यु का चारा टाँगता है
जिस टहनी पर बैठा हुआ है
उसी को ख़ुद काटता है
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits