भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्या लाए! / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कहें केदार खरी खरी / के…) |
|||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
आशा दिया है दिलासा दिया है! | आशा दिया है दिलासा दिया है! | ||
ठेंगा दिखाकर रवाना किया है! | ठेंगा दिखाकर रवाना किया है! | ||
− | दोनों नयन भर लाए! | + | ::दोनों नयन भर लाए! |
− | अच्छी आजादी लाए? | + | ::अच्छी आजादी लाए? |
रचनाकाल: २८-१२-१९४६ | रचनाकाल: २८-१२-१९४६ | ||
</poem> | </poem> |
14:28, 24 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
लंदन गए-लौट आए।
बोलौ! आजादी लाए?
नकली मिली या कि असली मिली है?
कितनी दलाली में कितनी मिली है?
आधी तिहाई कि पूरी मिली है?
कच्ची कली है कि फूली-खिली है?
कैसे खड़े शरमाए?
बोलौ! आजादी लाए?
राजा ने दी है कि वादा किया है?
पैथिक ने दी है कि वादा किया है?
आशा दिया है दिलासा दिया है!
ठेंगा दिखाकर रवाना किया है!
दोनों नयन भर लाए!
अच्छी आजादी लाए?
रचनाकाल: २८-१२-१९४६