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खंडित सपन / शैलेश मटियानी
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14:07, 24 अप्रैल 2011
तो नयन आधार क्या दें
नक्षत्र टूटा स्वयं,
तो
फ़िर
फिर
गगन आधार क्या
दें
दे
जब स्वयं माता तुम्हारी ही
अनिल जनविजय
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