{{KKCatNazm}}
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इक शख्स शख़्स था ज़माना था के दीवाना बनाइक अफसाना अफ़साना था अफसाने अफ़साने से अफसाना अफ़साना बना
इक परी चेहरा के जिस चेहरे से आइना बना
दिल के आइना दर आइना परीखाना परीख़ाना बना
कीमि-ए-शब् में निकल आता है गाहे गाहे
है चरागाँ ही चरागाँ सरे अरिज सरेजाम
रंग सद जलवा जाना न सनमखाना सनमख़ाना बना
एक झोंका तेरे पहलू का महकती हुई याद
एक लम्हा तेरी दिलदारी का क्या -क्या न बना
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