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"कम्पनी बाग़ / कीर्ति चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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लान में उगाई तरतीबवार घास है ।
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इधर-उधर बाक़ी सब मौसम उदास है ।
  
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आधी से ज़्यादा तो ज़मीन बेकार है ।
ऊँचे दरख़्त कहीं, झाड़ कहीं ,शूल हैं।<br>
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लोहे का फाटक है, फाटक पर बोर्ड है ।
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उगे की सुरक्षा ही माली को भार है।<br>
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लोहे का फाटक है, फाटक पर बोर्ड है।<br>
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भँवरों का, बुलबुल का, सौरभ का भाग है ।
दृश्य कुछ यह पुराने माडल की फ़ोर्ड है।<br>
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शहर में हमारे यही कम्पनी बाग़ है ।
भँवरों का, बुलबुल का, सौरभ का भाग है।<br>
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शहर में हमारे यही कम्पनी बाग़ है।<br><br>
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21:20, 5 मई 2011 के समय का अवतरण

लतरें हैं, ख़ुशबू है,पौधे हैं, फूल हैं ।
ऊँचे दरख़्त कहीं, झाड़ कहीं ,शूल हैं ।

लान में उगाई तरतीबवार घास है ।
इधर-उधर बाक़ी सब मौसम उदास है ।

आधी से ज़्यादा तो ज़मीन बेकार है ।
उगे की सुरक्षा ही माली को भार है ।

लोहे का फाटक है, फाटक पर बोर्ड है ।
दृश्य कुछ यह पुराने माडल की फ़ोर्ड है ।

भँवरों का, बुलबुल का, सौरभ का भाग है ।
शहर में हमारे यही कम्पनी बाग़ है ।