Changes

[[Category:लम्बी रचना]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=राम-नाम-महिमा / तुलसीदास/ पृष्ठ 1110
|आगे=कवितावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 40
|सारणी=राम-नाम-महिमा / तुलसीदास
<poem>
'''राम-नाम-महिमा-10'''
(109)
(110) जागैं जोगी-जंगम ,जती -जमाती ध्यान धरैं, डरैं उर भारी लोभ, मोह, कोह, कामके।
जागै ं राजा राजकाज , सेवक-समाज , साज,
सोचैं सुनि समाचार बड़े बैरी बामके।।
 
जागैं बुध बिद्या हित पंडित चकित चित,
जागैं लोभी लालच धरनि,धन, धामके।।
 
जागैं भोगी भोग हीं, बियोगी, रोगी रोगबस,
सोवैं सुख तुलसी भरोसे एक रामके।।
 
(110)
 
रामु मातु, पितु, बंधु, सुजन, गुरू, पूज्य, परमहित।
साहेबु,सखा, सहाय, नेह -नाते , पुनीत चित।।
 
देसु , कोसु, कुलु, कर्म, धर्म, धनु ,धामु , धरनि, गति।
जाति -पाँति सब भाँति लागि रामहि हमारि पति।।
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits