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वह और रोटी / किरण अग्रवाल
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08:19, 14 मई 2011
और एक गोल-मटोल रोटी
भाप उगलती हुई
जो पिछली शताब्दी में उसने खाई थी माँ के हाथों से
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डा० जगदीश व्योम
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