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प्रकाश की दुनिया / किरण अग्रवाल
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08:36, 14 मई 2011
|संग्रह=गोल-गोल घूमती एक नाव / किरण अग्रवाल
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मेरे सामने है प्रकाश की दुनिया
वहाँ दूख नहीं है
वहाँ आनन्द है और बस आनन्द है
मेरे सामने खुला है
वार
द्वार
प्रकाश की दुनिया का
मैं जाती हूँ वहाँ
लेकिन लौट-लौट कर वापिस आती हूँ
अनिल जनविजय
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