भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साँचा:KKPoemOfTheWeek

2,179 bytes added, 08:12, 22 मई 2011
<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : घर से भागी हुई लड़कीइंद्रजाल<br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[महेश चंद्र पुनेठाअनिल विभाकर]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
परीक्षा में फ़ेल हो जाने परयह है इंद्रप्रस्थ का इंद्रजाल या माँइसमें भूखी-बाप नंगी जनता सुनहरे सपने देखती है और महारानी के दर्शन भर से लड़करधन्य हो जाती है । घर ग़रीब जनता गौर से भाग जाता निहारती है लड़कामहारानी को दुख व्यक्त करते उनमें उसे सत्यहरिश्चंद्र की आत्मा नज़र आती हैउसे लगता है वे महारानी नहीं, सत्य हरिश्चंद्र की नया अवतार हैं लोग
लड़का कहीं कर लेता इंद्रप्रस्थ की रानी कहती हैदेश में भ्रष्टाचार बढ़ गया दो रोटी का जुगाड़करोड़पतियों की संख्या तो बढ़ी या फिर कुछ दिन घूम-फिरकरग़रीबों की आबादी में भी इजाफ़ा हुआ लौट आता रानी कहती है अपने घरग़रीबी और भ्रष्टाचार बेहद चिंता की बात जनता जवाब नहीं माँगती वह तो मंत्रमुग्ध है उनके सम्मोहन में
ख़ुशियों से भर जाता ऋषियों का यह देश चाणक्य का भी है घरजैसे लम्बे सूखे के बादचंद्रगुप्त का भी वर्षा सपने तो टूट ही रहे हैंजिस दिन टूटेगा इंद्रजाल जनता पूछेगीरानी जी! फिर कलमाड़ी को क्यों बचाया ?और राजा को क्यों हटाया?महारानी जी! थरूर पर हुई थू-थू फिर भी कम नही हुई मनमोहन की बूँदों का झरनामुस्कान पतझड़ ये सब के बाद बसंत सब तो आप के ही प्यादे हैं न राज आपका बिसात आपकी प्यादे आपके संविधान में सरकार भले ही चलती है संसद से हक़ीक़त यह है कि दस जनपथ की इच्छा के बिना सात रेस कोर्स का आ जाना ।पत्ता तक नहीं हिलता
सौतेली माँ के उत्पीड़न सेयारानी जी, पूरा देश जानता है शराबी बाप के आतंक आपकी मुस्कान सेही मुस्कुराते हैं करोड़पति-अरबपतिघर आपके चहकने से भाग जाती है लड़की कभीगाँव भर में शुरू आमजन हो जाता हैमायूस चर्चाओं का उफ़ानदरअसल सिर्फ़ कहने को जनपथ में रहती हैं आप भले ही इस देश में आपका अपना कोई घर-बार नहींआँगन हो / गली हो / पनघट होया चाय हक़ीक़त में आप राजपथ की दुकानरानी हैं आ ही जाती तौर-तरीके और रहन-सहन से तो यही लगता है उसके भागने आप इंद्रप्रस्थ की बातमहारानी हैं । समय आने दीजिए महारानी जी! तरहभूखी-तरह की आकाँक्षाएँनंगी जनता करेगी आपकी करतूतों का पूरा हिसाब संबंधों की बातेंपूछेगी क्या हुआ अफ़ज़ल का, कहाँ है कसाब ? जितने मुँह उतने अफ़सानेपूछेगी क्या संसद से भी बड़ा है होटल ताज ? महारानी जी यही है आपका राज ?
दो-चार ज़रूर टूटेगा एक दिन में लौट आती है लड़कीइंद्रजाल घर में बढ़ जाता है तनाव और भूखी-नंगी जनता को लगेगा कहीं कोई ख़ुशी आपमें नहींमर क्यों नहीं गईमर ही जातीक्यों लौट आई यह लड़की बसती है सत्य हरिश्चंद्र की आत्मा । </pre>
<!----BOX CONTENT ENDS------>
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,726
edits