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और...हमने सन्धियाँ कीं
रचनाकार | कुमार रवींद्र |
---|---|
प्रकाशक | नमन प्रकाशन, दिल्ली । |
वर्ष | 2006 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत |
विधा | मुक्तछंद |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- छाँव ले गए महानगर में / कुमार रवींद्र
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- नदी का यह गीत होना / कुमार रवींद्र
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- थी गुलाब-सी कभी गुलाबो / कुमार रवींद्र
- अक्स अपने आइने का / कुमार रवींद्र
- दस्तक अंदर से वसंत की / कुमार रवींद्र
- सच में सजनी / कुमार रवींद्र
- ये अनुरागी दिन वसंत के / कुमार रवींद्र
- सुनना सजनी / कुमार रवींद्र
- हाँ, कल ही तो / कुमार रवींद्र
- काश वही रहता / कुमार रवींद्र
- और ... हमने संधियाँ कीं. / कुमार रवींद्र
- अपने हाथ हुए पत्थर के / कुमार रवींद्र
- हाँ, साधो, कल इसी जगह / कुमार रवींद्र
- सुनो अंदर की लहर भी / कुमार रवींद्र
- एक लड़के की कहानी / कुमार रवींद्र
- गीत के अंतरा-सी लड़की / कुमार रवींद्र
- देह का इतिहास इसका भी / कुमार रवींद्र
- एक लड़की नदी-तीरे / कुमार रवींद्र
- बर्फ़ में भी हमारा घर / कुमार रवींद्र
- एक चिरैया सोने की / कुमार रवींद्र
- बुढ़ा गईं संतो काकी / कुमार रवींद्र
- वानप्रस्थी ये हवाएँ / कुमार रवींद्र
- अतिथि सूरज / कुमार रवींद्र
- चलो, जंगल लाँघ आए / कुमार रवींद्र
- टापू पर कल राख / कुमार रवींद्र
- ॠतु-वीणा टूटी है / कुमार रवींद्र
- लोग भरी दुपहर में / कुमार रवींद्र
- झील में अधलेटी चट्टानें / कुमार रवींद्र
- हिल रहीं नीवें / कुमार रवींद्र
- पते ये हैं नहीं / कुमार रवींद्र
- सीढ़ियों की महायात्रा / कुमार रवींद्र
- दिन रहा घिरते धुओं का / कुमार रवींद्र
- थकी साँसें पूछती हैं / कुमार रवींद्र
- नए युग की अप्सराएँ / कुमार रवींद्र
- नदी के उस पार / कुमार रवींद्र
- घटना के तेवर भी देखो / कुमार रवींद्र
- प्रतिमा थी बामियान बुद्ध की / कुमार रवींद्र
- कहो नूरी / कुमार रवींद्र
- और टूटी बाँसुरी होना / कुमार रवींद्र
- संझा-बेला / कुमार रवींद्र
- और हम घायल हुए / कुमार रवींद्र
- हाथ में है जादुई पत्थर / कुमार रवींद्र
- गुज़रे हैं नाग / कुमार रवींद्र