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"उदास / हरीश करमचंदाणी" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>इस तरह तो मत होना उदास कि मैं पस्त हो जाऊं और सोच ही नहीं सकूं कु…)
 
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05:10, 25 मई 2011 के समय का अवतरण

इस तरह तो मत होना उदास
कि मैं पस्त हो जाऊं
और सोच ही नहीं सकूं
कुछ भी अच्छा और आशा से भरा

इस तरह तो मत होना उदास
कि हंस ही न सके इस बार
जिस बात पर दुहरे हुए थे
हंसी के मारे पिछली बार

मत होना
मत होना
मत होना उदास
कि उदासी बुरी होती है
उस चेहरे पर तो बहुत
जिसने दुःख से लड़ी हो लडाई
हंसते हंसते .