भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार का रंग / नचिकेता

22 bytes added, 13:16, 27 जून 2007
दुनिया बदली
 
मगर प्यार का रंग न बदला
 
अब भी
 
खिले फूल के अन्दर
 
खुशबू होती है
 
गहरी पीड़ा में अक्सर हाँ
 
आँखें रोती हैं
 
कविता बदली, पर
 
लय-छंद-प्रसंग नहीं बदला
 
वर्षा होती
 
आसमान में बादल
 
घिरने पर
 
पात बिखर जाते हैं
 
जब भी आता है पतझर
 
पर पेड़ों से
 
पत्तों का आसंग नहीं बदला
 
हरदम भरने को उड़ान
 
तत्पर रहती पाँखें
 
मौसम आने पर
 
फूलों से
 
लदती हैं शाख़ें
 
बदली हवा
 
सुबह होने का ढंग नहीं बदला
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,723
edits