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"बलात्कार / भगवत रावत" के अवतरणों में अंतर

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कहीं दूर
 
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एक पत्ता टूट कर गिरत है
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एक पत्ता टूट कर गिरता है
  
  

11:57, 29 जून 2007 के समय का अवतरण


अपनी पूरी ताक़त के साथ

चीख़ती है

एक औरत

अपने बियाबान में

और

ख़ामोश हो जाती है


कहीं दूर

एक पत्ता टूट कर गिरता है


सन्नाटे को चीरता

छटपटा कर गिरता है

कहीं एक पक्षी

और दूर-दूर तक

ख़ामोशी छाई रहती है


यह मेरा समय है

और यह मेरी दुनिया है ।