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गले से आ के लगा लो, बहुत उदास हूँ मैं
अँधेरा लूटने आया है रौशनी रोशनी का सुहाग
दिया कोई तो जला लो, बहुत उदास हूँ मैं
गिरे थे तुम भी तो ऐसे ही चोट खा के कभी
हँसो न देखनेवालोंदेखनेवालो! बहुत उदास हूँ मैं
अब इससे बढ़के कँटीली भी राह क्या होगी
खिलो भी पाँव के छालोंछालो! बहुत उदास हूँ मैं
झकोरे खाने लगी नाव आके तीर के पास
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