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कभी वह भी घूँघट उठाता तो होगा!
नहीं मुड़ के मुड़के देखे इधर जानेवाला
मगर दिल में आँसू बहाता तो होगा!
जो तूफ़ान में नाव बढ़ती रही है
कोई डाँड डाँड़ इसकी चलाता तो होगा!
कोई क्यों लगाता है फेरे यहाँ के
कभी यह ख्याल ख़याल उसको आता तो होगा!
गुलाब! अपनी रंगीनियाँ पाके तुझमें
कभी दिल कोई झूम जाता तो होगा!!
<poem>
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