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कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं / गुलाब खंडेलवाल
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04:10, 2 जुलाई 2011
यों तो इस बाग़ में हर डाल पे खिलते हैं गुलाब
मुस्कुराने का मगर हमको इशारा भी नहीं!
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Vibhajhalani
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