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"लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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कल सितारों की नर्म छाँहों में | कल सितारों की नर्म छाँहों में | ||
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है अँधेरा इन ऐशगाहों में! | है अँधेरा इन ऐशगाहों में! | ||
21:47, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में
हम भी बैठे हैं दिल की राहों में
वह किसी फूल में नहीं देखी
जैसी ख़ुशबू थी उन निगाहों में
कुछ तो इस दिल ने कह दिया था उन्हें
कल सितारों की नर्म छाँहों में
वे ख़यालों में ही मिलें तो कभी
है अँधेरा इन ऐशगाहों में!
आज ऊँचे पे खिल रहे हैं गुलाब
उनको काँटे चुभे न बाँहों में