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भले ही दिल न मिले आँख चार होती रहीं / गुलाब खंडेलवाल
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20:54, 6 जुलाई 2011
छुरी की धार कलेजे के पार होती रही
सुना है
,
आपने हमको किया था याद कभी
कसक-सी दिल में कहीं बार-बार होती रही
Vibhajhalani
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