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यों तो सभी से मेल-मुहब्बत है राह में / गुलाब खंडेलवाल
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22:02, 6 जुलाई 2011
मंज़िल कोई ऐसी भी एक आयी थी राह में
क्या
कद्र
क़द्र
तेरी ज़र्द पँखुरियों की हो, गुलाब!
ख़ुशबू तो लुट चुकी है किसी ऐशगाह में
<poem>
Vibhajhalani
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