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नशे में प्यार के लिखते रहे हैं कविता हम / गुलाब खंडेलवाल
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20:09, 9 जुलाई 2011
पता नहीं कि उन्हें कह गये हैं क्या-क्या हम
उन्हीं से
उन्हींसे
हो गयी रंगीन ज़िन्दगी भी मगर
भले ही आपसे खाया किये हैं धोखा हम
'जगह कहीं पे हमारी भी दिल में है कि नहीं?
सवाल आज
उन्हीं से
उन्हींसे
करेंगे सीधा हम
चली ये कैसी हवायें, उदास है हर फूल!
Vibhajhalani
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