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ग्लोब / अनुज लुगुन
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06:58, 14 जुलाई 2011
मैं उसमें महान दार्शनिकों
और लेखकों की पंक्तियाँ ढूँढ़ने लगा
जिसे
जिन्हें
मैं गा सकूँ
लेकिन मुझे दिखाई दी
क्रूर शासकों द्वारा खींची गई लकीरें
अनिल जनविजय
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