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*[[दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर अबाध वासना-विलास / गुलाब खंडेलवाल]] | *[[दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर अबाध वासना-विलास / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
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*[[मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल]] | *[[मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल]] | ||
*[[मधुकर यह उपवन क्यों भूले / गुलाब खंडेलवाल]] | *[[मधुकर यह उपवन क्यों भूले / गुलाब खंडेलवाल]] |
04:52, 21 जुलाई 2011 का अवतरण
बलि-निर्वास
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | चम्पू काव्य |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- जीवन-संध्या में आज, पथिक तुम थके और हारे-से हो / गुलाब खंडेलवाल
- दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर अबाध वासना-विलास / गुलाब खंडेलवाल
- मना लूँ मन को तो, सजनी! / गुलाब खंडेलवाल
- सखी री! समय-समय की बात / गुलाब खंडेलवाल
- मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल
- मधुकर यह उपवन क्यों भूले / गुलाब खंडेलवाल
- कल्प वृक्ष की सबसे ऊँची शाखा पर से / गुलाब खंडेलवाल
- वांछित जो माँगें आप, सौंवे बलिकाल में / गुलाब खंडेलवाल
- राई में सुमेरु ज्यों विशाल वट वृक्ष में हो / गुलाब खंडेलवाल
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