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18:36, 3 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों वो दोस्त मेरे साथ था मेरे हाथ मे उसका हाथ था

वो दिन अब क्यों नहीं आते वो मेरे मन के बहुत पास था उन दिनों मेरी जुबा पर उसका ही नाम था

वो दिन अब क्यों नहीं आते उन दिनों मुझे एक ही काम था उससे ही बात करने मे आराम था वो दिन अब क्यों नहीं आते