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मत ठहरो / श्रीकृष्ण सरल
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03:47, 12 अगस्त 2011
तुम चलो, ज़माना अपने साथ चलाओ,
जो पिछड़ गए हैं आगे उन्हें बढ़ाओ
तुमको प्रतीक बनना है
विश्वप्रगति
विश्व-प्रगति
का
तुमको जन हित के साँचे में ढलना है
मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।
डा० जगदीश व्योम
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