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पेड़ और धर्म / सुरेश यादव

17 bytes removed, 04:56, 12 अगस्त 2011
बस्ती के हर आँगन में
पेड़ हो बड़ा
खूब हो घनार घना खुशबूदार फूलर फूल हों
फल मीठे आते हों लदकर
छाँव उसकी बड़ी दूर तक जाए
खुशबू की कहानियाँ हो घर - घर
हवा के झोंके में
झरते रहें फलर फल
उठाते-खाते गुजरते रहें राहगीर
ऐसा एकर कर पेड़
बस्ती के हर आँगन में
लगाना ही होगा
लोग
भूल गए हैं – धर्म
पेड़ों को बतानान बताना ही होगा।
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