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कबीर दोहावली / पृष्ठ १
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13:53, 25 मई 2008
दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । <BR/>
जो सुख मे सुमरिन करे, दुख
कहे
काहे
को होय ॥ 1 ॥ <BR/><BR/>
तिनका कबहुँ ना निंदिये, जो पाँव तले होय । <BR/>
Pratishtha
KKSahayogi,
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