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कैटवाक / अवनीश सिंह चौहान
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08:10, 5 सितम्बर 2011
पलछिन करती चिड़िया रानी
क़ैद सभी को कर लेती यह
पॉप धुनों पर गाती रहती
जलते हुए चिराग़
हरदम दीपक राग
बिना परों के उड़ती-फिरती
कुछ द्विअर्थी संवादों के
अनजानी मस्ती में खोए
आकर्षण झूठे वादों के
पल भर में बरसाती पानी
पल भर में है आग
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Abnish
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