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टिड्डी दल सा घूम तिनका तिनका जोड़ रहा मानव यहाँ शाम-सहर। आतंकी साये में पीता हालाहल यह शहर। अनजानी सुख की चाहतसंवेदनहीन ज़मीरइंद्रधनुषी अभिलाषायेंबिन प्रत्यंचा बिन तीरमहानगर के चक्रव्यूह मेंअभिमन्यु सा वीरआँखों की किरकिरी बनेअपना ही कोई सगीरक़दम क़दम संघर्ष जिजीविषा कादंगल यह शहर।
ढूँढ़ रहा है वो कोना जहाँ