भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"'अना' क़ासमी / परिचय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{KKGlobal}}
+
<poem>
{{KKRachna
+
|रचनाकार='अना' क़ासमी
+
}}
+
 
'''संक्षिप्त परिचय'''  
 
'''संक्षिप्त परिचय'''  
 
नाम : मौलाना हारून ‘अना’ क़ासमी  
 
नाम : मौलाना हारून ‘अना’ क़ासमी  
पंक्ति 23: पंक्ति 20:
 
से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में  
 
से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में  
 
मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं ।
 
मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं ।
'डॉ. बशीर बद्र
+
""""'''डॉ. बशीर बद्र'''""""
 +
<poem>

18:07, 19 सितम्बर 2011 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय
नाम : मौलाना हारून ‘अना’ क़ासमी
जन्म : 28 फरवरी 1966
जन्म स्थान : छतरपुर (म.प्र.)
पिता का नाम : हाजी मुहम्मद जमील निज़ामी
माता का नाम : मरियम खातून
शिक्षा : नदवतुल-उलमा, लखनऊ से आलिमियत का कोर्स, दारूल-उलूम देवबन्द से फ़ज़ीलत की डिग्री 1989 में
लेखन विधाएं : ग़ज़ल एवं नज़्म
उपलब्धियां : ग़ज़ल संग्रह ‘हवाओं के साज़ पर अयन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित
: देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित ।
कई बड़े मंचों पर रचनापाठ
सम्मान : नगरपालिका छतरपुर के ज़रिये श्रेष्ठ शायर सम्मान,
सम्पर्क : हेल्प लाइन कम्प्यूटर सेल्स,
आकाशवाणी तिराहा, छतरपुर (म.प्र.) पिन-471001
मोबाइल नम्बर - 9826506125
-:संस्तुतिः-(डॉ. बशीर बद्र द्वारा ‘हवाओं के साज़ पर’ किताब से)
मौलाना हारून अना क़ासमी ऐसे नौजवान ग़ज़ल के शायर हैं जिनके फिक्रोफ़न में इनकी सच्ची रियाज़त वसीअ मुतालआ शायराना सदाकत है ।
इनके अच्छे शेरों में ग़ज़ल की सदियों की परम्पराएं अपने ज़माने से बड़े प्यार
से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में
मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं ।
""""डॉ. बशीर बद्र""""