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"गूंज / नवनीत पाण्डे" के अवतरणों में अंतर
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<poem>जहां कहीं भी होगी गूंज | <poem>जहां कहीं भी होगी गूंज | ||
वह सुनेगा | वह सुनेगा |
04:41, 28 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
जहां कहीं भी होगी गूंज
वह सुनेगा
पहचानेगा
और आत्मसात् कर लेगा अपने भीतर
भले ही
डराने लगे भूत
न संवरे भविष्य
गड़बड़ा जाए आज