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"हर लहर सागर की साहिल तक पहुँच पाती नहीं / शेष धर तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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20:38, 6 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
हर लहर सागर की साहिल तक पहुँच पाती नहीं
हो भले नाबूद लेकिन लौट कर जाती नहीं
मिल गयी मंजिल उसे जिसने सफर पूरा किया
मंजिले मक़सूद चलकर खुद कभी आती नहीं
देख कर चेहरा, पलट देते हैं अब वो आइना
मौसमे फुरकत उन्हें सूरत कोई भाती नहीं
ज़िंदगी तो कर्म-फल के दायरों में है बंधी
गम, खुशी सब में बराबर बाँट वो पाती नहीं
इस जहां के बाद भी है इक जहां, जा कर जहाँ
इल्म होता है कोई शै साथ दे पाती नहीं