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"अशवों को चैन ही नहीं आफ़त किये बगैर / जोश मलीहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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अशवों को चैन नहीं आफ़त किये बगैर | अशवों को चैन नहीं आफ़त किये बगैर | ||
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तुम, और मान जाओ शरारत किये बगैर! | तुम, और मान जाओ शरारत किये बगैर! | ||
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अहल-ए-नज़र को यार दिखाना राह-ए-वफ़ा | अहल-ए-नज़र को यार दिखाना राह-ए-वफ़ा | ||
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ऐ काश! ज़िक्र-ए-दोज़ख-ओ-जन्नत किये बगैर | ऐ काश! ज़िक्र-ए-दोज़ख-ओ-जन्नत किये बगैर | ||
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अब देख उस का हाल कि आता न था करार | अब देख उस का हाल कि आता न था करार | ||
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खुद तेरे दिल को, जिस पे इनायत किये बगैर | खुद तेरे दिल को, जिस पे इनायत किये बगैर | ||
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ऐ हमनशीं मुहाल है नासेह का टालना | ऐ हमनशीं मुहाल है नासेह का टालना | ||
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यह, और यहाँ से जाएँ नसीहत किये बगैर | यह, और यहाँ से जाएँ नसीहत किये बगैर | ||
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तुम कितने तुन्द-खू हो कि पहलू से आज तक | तुम कितने तुन्द-खू हो कि पहलू से आज तक | ||
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एक बार भी उठे न क़यामत किये बगैर | एक बार भी उठे न क़यामत किये बगैर | ||
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15:03, 13 अक्टूबर 2011 का अवतरण
अशवों को चैन नहीं आफ़त किये बगैर
तुम, और मान जाओ शरारत किये बगैर!
अहल-ए-नज़र को यार दिखाना राह-ए-वफ़ा
ऐ काश! ज़िक्र-ए-दोज़ख-ओ-जन्नत किये बगैर
अब देख उस का हाल कि आता न था करार
खुद तेरे दिल को, जिस पे इनायत किये बगैर
ऐ हमनशीं मुहाल है नासेह का टालना
यह, और यहाँ से जाएँ नसीहत किये बगैर
तुम कितने तुन्द-खू हो कि पहलू से आज तक
एक बार भी उठे न क़यामत किये बगैर