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12:58, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
गौरी को
कभी घर नहीं मिलता मां
मिलता है मन्दिर
या समन्दर
इस सपने को
मत बसाओ
आंखों में।
अनुवाद:- कुन्दन माली