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गहरे तहखाने / अर्जुनदेव चारण

72 bytes added, 07:41, 1 दिसम्बर 2011
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कलेजा ठंडा करने ईश्वर कोतुम्हाराकिसने देखाबहाता है वह आसूंकभी रोते हुएशायद इसीलियेतुमनेकभी नहीं भरी हिचकी क्या गहरे तहखानेहम लोग उसे पहचानते हैंकहते इसी खातिर बनाते हैं मेहमां ?बाबुल इसी तरहबरसाया करता हैअपना नेह।'''अनुवाद :- कुन्दन माली'''
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