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प्रथम प्रभात / जयशंकर प्रसाद
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18:13, 20 सितम्बर 2007
कैसी छवि ने बाल अरुण सी प्रकट हो,
शून्य हृदय को नवल राग-रंजित किया
Pratishtha
KKSahayogi,
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