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ज्ञान का दंड / रामनरेश त्रिपाठी
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12:11, 7 दिसम्बर 2011
::पयोद के विनोद हम भूल भूल जाते हैं।
भोग सकते न सुख भूल सकते न दुख
::
यों ही दुविधा में पड़े जीवन बिताते हैं॥
</poem>
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