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आज फिर शुरू हुआ / रघुवीर सहाय

92 bytes added, 15:06, 17 दिसम्बर 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=रघुवीर सहाय
|संग्रह=सीढ़ि‍यों पर धूप में / रघुवीर सहाय
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<poem>
आज फिर शुरू हुआ जीवन
आज फिर शुरू हुआ जीवन<br><br>मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ीआज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा
जी भर आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी<br>आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा<br><br>शीतल जल से स्नान किया
जी भर आज एक छोटी-सी बच्ची आई,किलक मेरे कन्धे चढ़ीआज मैंने शीतल जल आदि से स्नान अन्त तक पूरा गान किया<br><br>
आज एक छोटी-सी बच्ची आयी,किलक मेरे कन्धे चढ़ी<br>आज मैंने आदि से अन्त तक पूरा गान किया<br><br> आज फिर जीवन शुरू हुआ।<br>हुआ ।<br/poem>
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