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|रचनाकार =रघुवीर सहाय|संग्रह=सीढ़ियों पर धूप में / रघुवीर सहाय }}{{KKAnthologyBasant}}
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वही आदर्श मौसम
और मन में कुछ टूटता-सा :
अनुभव से जो जानता हूँ कि यह वसन्त है।है ।
(1953)
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