भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ओमर्थज्ञान / नाथूराम शर्मा 'शंकर'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नाथूराम शर्मा 'शंकर' }} Category:पद <poem> ओ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
[[Category:पद]] | [[Category:पद]] | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | ओमक्षर अखिलाधार, | |
− | + | जिसने जान लिया। | |
− | + | ||
− | + | एक, अखण्ड, अकाय, असंगी, अद्वितीय, अविकार, | |
− | + | व्यापक, ब्रह्म, विशुद्ध विधाता, विश्व, विश्वभरतार- | |
− | + | को पहचान लिया। | |
− | + | ||
− | + | भूतनाथ, भुवनेश, स्वयंभू, अभय, भावभण्डार, | |
− | + | नित्य, निरंजन, न्यायनियन्ता, निर्गुण, निगमागार- | |
+ | मनु को मान लिया। | ||
+ | |||
+ | करुणाकन्द, कृपालु, अकर्त्ता, कर्महीन करतार, | ||
+ | परमानन्द, पयोधि, प्रतापी, पूरण, परमोदार- | ||
+ | से सुखदान लिया। | ||
+ | |||
+ | सत्य सनातन श्रीशंकर को समझा सबका सार, | ||
+ | अपना जीवन-बेड़ा उसने भवसागर से पार- | ||
+ | करना ठान लिया। | ||
</poem> | </poem> |
11:28, 22 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
ओमक्षर अखिलाधार,
जिसने जान लिया।
एक, अखण्ड, अकाय, असंगी, अद्वितीय, अविकार,
व्यापक, ब्रह्म, विशुद्ध विधाता, विश्व, विश्वभरतार-
को पहचान लिया।
भूतनाथ, भुवनेश, स्वयंभू, अभय, भावभण्डार,
नित्य, निरंजन, न्यायनियन्ता, निर्गुण, निगमागार-
मनु को मान लिया।
करुणाकन्द, कृपालु, अकर्त्ता, कर्महीन करतार,
परमानन्द, पयोधि, प्रतापी, पूरण, परमोदार-
से सुखदान लिया।
सत्य सनातन श्रीशंकर को समझा सबका सार,
अपना जीवन-बेड़ा उसने भवसागर से पार-
करना ठान लिया।