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ख़ामोशी में गुम / नंदकिशोर आचार्य
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07:54, 23 दिसम्बर 2011
<poem>
जाने क्यों मुझ को
शब्दक रना
शब्द करना
चाहता था वह
गुम है जो ख़ुद
ख़ामोशी में अपनी
क्योम
क्यों
सहन नहीं हो पाया
मैं ख़ामोश
ख़ामोशी को उस की
अनिल जनविजय
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