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"नौ बजे का सायरन / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
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कुर्सियों के सामने पानी | कुर्सियों के सामने पानी | ||
घंटी बजा कर इंजन | घंटी बजा कर इंजन | ||
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22:55, 26 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
यह नौ बजे का सायरन
कस गया तसमे,
कसा सारा बदन
कस गए लो पाँव के पहिए
हड्डियों का साथ लोहे से
इसे मजबूरियाँ कहिए
चार छीटें डाल कर
जूठे किए बरतन
हम हुए हाँ और ना के यंत्र
चढ़ गया हलके मुलम्मे की तरह
जनतंत्र
कुर्सियों के सामने पानी
घंटी बजा कर इंजन