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वार्ता:चौपाल

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<poem>
भाई महावीर जी,
यह रचना पंडित विनोद शर्मा की है, जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया है। पूरी कविता इस प्रकार है।
 
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
रात झुक आई पहन उजला वसन
प्राण तुम क्यों मौन हो कुछ गुनगुनाओ
चाँदनी के फूल तुम मुस्कराओ
 
एक नीली झील-सा फैला अचल
आज यह आकाश है कितना सजल
चाँद जैसे रूप का उभरा कमल
रात भर इस रूप का जादू जगाओ
प्राण तुम क्यों......
 
चल रहा है चैत का चंचल पवन
बाँध लो बिखरे हुए कुन्तल सघन
आँज लो कजरा उदासे हैं नयन
माँग भर लो भाल पर बिंदिया सजाओ
प्राण तुम क्यों...
सादर
अनिल जनविजय
</poem>
pria mitron,
= AApkee KITTU
 
== HAPPY NEW YEAR POEM-2012 ==
 
NEW YEAR POEM-2012
नववर्ष हो मंगलमय,
सुख शांति हो जन जनमय,
नहीं अंधियारी रातें हों,
ना बैर भाव की बातें हों,
ना भेदभाव अब और बढे,
हर कदम सत्य की और चढ़े,
ना उजड़े कोई फुल चमन से,
ना उखड़े कोई कोख अमन से,
रहे विश्व में सुख और शांति,
ना झेले युद क्रोध की क्रान्ति,
क्यों मजहब के नाम पे रूठे,
क्यों मंदिर और मस्जिद टूटे,
टूटे क्यों गिरिजा गुरुद्वारा,
मानवता हो धर्म हमारा,
धरती पर छाए हरियाली,
सब के चेहरे पर हो खुशहाली,
कदम बढे प्रगति पथ पर,
देश हो अपना विजयी रथ पर,
खुशहाल रहे अमन अपना,
सच हो हमारा ये सपना,
नववर्ष २०१२ की आप सभी दोस्तों भाइयो बहनों और बुजुर्ग अभिभावकों को महावीर जोशी की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
रचना ..महावीर जोशी पूलासर (सरदारशहर)
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