भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"येहूदा आमिखाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKAnooditRachnakaar | {{KKAnooditRachnakaar | ||
− | |चित्र= | + | |चित्र=येहूदा आमिखाई.jpg |
|नाम=येहूदा आमिखाई | |नाम=येहूदा आमिखाई | ||
|उपनाम= | |उपनाम= |
12:34, 21 फ़रवरी 2012 का अवतरण
येहूदा आमिखाई
जन्म: 1924
निधन: 2000
जन्म स्थान
बुजवर्ग, बावरिया, जर्मनी
कुछ प्रमुख कृतियाँ
अभी और अन्य दिनों में (1955); दो पृथक आशाएँ (1958); अब इस शोर में (1968); मात्र स्मरण के लिए नहीं (1975); काल (1977); महाशांति : प्रश्न और उत्तर (1980); सौजन्यता की घड़ी (1982)सभी कविता-संग्रह। न इस समय में, न इस स्थान पर (1963); रहने की एक जगह (1971) दोनों उपन्यास। घंटियाँ और रेलगाड़ी (1963) रेडियो नाटक।
विविध
यरूशलम के ग्रीनवर्ग कालेज में अध्यापक रहे और विश्व भ्रमण किया।
जीवन परिचय
अभी इस पन्ने के लिये छोटा पता नहीं बना है। यदि आप इस पन्ने के लिये ऐसा पता चाहते हैं तो kavitakosh AT gmail DOT com पर सम्पर्क करें।
- आँखों की उदासी और एक सफ़र /येहूदा आमिखाई
- धरती जानती है / येहूदा आमिखाई
- यरूशलम / येहूदा आमिखाई
- टूंडेला के अम्तिम बेंजामिन की यात्रा / येहूदा आमिखाई
- हम दोनों ने इस आइने के सामने / येहूदा आमिखाई
- हम दोनों ने इस आइने के सामने / येहूदा आमिखाई
- तुम्हारा दिल खेलता है / येहूदा आमिखाई
- तुम लेटती हो हमेशा / येहूदा आमिखाई
- उन लोगों ने तुम्हारी जंघाओं को / येहूदा आमिखाई
- तेज़ एवं तिक्त था अंत / येहूदा आमिखाई
- वर्षा चुपके से कहती है / येहूदा आमिखाई
- मेरे रक्त के कई रिश्तेदार हैं / येहूदा आमिखाई
- बम का दायरा / येहूदा आमिखाई
- येमिन मोश की पवनचक्की / येहूदा आमिखाई
निशान्त कौशिक के अनुवाद
- तीस सेंटीमीटर था बम का व्यास / येहूदा आमिखाई
- हम जब साथ थे / येहूदा आमिखाई
- मुझे एक ऐसी धरती दिखाओ / येहूदा आमिखाई
- न चाहकर भी मुझे जाना ही होगा / येहूदा आमिखाई
- औरतें / येहूदा आमिखाई
- मेरा सफ़र बहुत हल्का है / येहूदा आमिखाई
- युद्ध के पहले दिनों में / येहूदा आमिखाई
- जीवन बहुत गंभीर मसला है / येहूदा आमिखाई
- ऐसा होता है किसी को भूलना / येहूदा आमिखाई
- बहुत संकरी है दुनिया / येहूदा आमिखाई
- कभी हरा रंग बहुत खुश था / येहूदा आमिखाई
- हवाई जहाज़ सीखते हैं पक्षियों से / येहूदा आमिखाई