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कपड़ों भर तनी अर्गनी | कपड़ों भर तनी अर्गनी | ||
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नाप गई अमरूदी कोण | नाप गई अमरूदी कोण | ||
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टूटी मुंडेर टिकी कोहनी | टूटी मुंडेर टिकी कोहनी | ||
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धूप-चाँदनी तो वक्तव्य हुए झूठे | धूप-चाँदनी तो वक्तव्य हुए झूठे | ||
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रेंग-रेंग जाती है कातर | रेंग-रेंग जाती है कातर | ||
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फाइलों लदे हाथों पर | फाइलों लदे हाथों पर | ||
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रहा सिर्फ़ इंतज़ार बस का | रहा सिर्फ़ इंतज़ार बस का | ||
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जल डूबे फुटपाथों पर | जल डूबे फुटपाथों पर | ||
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11:23, 24 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
लोहे से झल गई सलाखें
पिघल गये घेरे बाँहों के।
परत-दर-परत चढ़ते साये
कपड़ों भर तनी अर्गनी
नाप गई अमरूदी कोण
टूटी मुंडेर टिकी कोहनी
धूप-चाँदनी तो वक्तव्य हुए झूठे
छत की ख़ामोश सभाओं के।
रेंग-रेंग जाती है कातर
फाइलों लदे हाथों पर
रहा सिर्फ़ इंतज़ार बस का
जल डूबे फुटपाथों पर
हर तो हैं कैद कतारों मे
बागी हैं पुरवा के झोंके।