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दुष्यंत कुमार / परिचय

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{{KKRachnakaarParichay
|रचनाकार=दुष्यंत कुमार
}}<poem>आपके नाम पर [[दुष्यंत कुमार सम्मान]] पुरस्कार प्रारंभ किया गया है'''[[दुष्यंत कुमार | दुष्यंत कुमार त्यागी]]''' ([[१९३३]]-[[१९७७]]) [[उत्तर प्रदेश]] के जनपद बिजनौर के रहने वाले थे । एक हिंदी कवि और ग़ज़लकार थे । इन्होंने 'एक कंठ विषपायी', 'सूर्य [[दुष्यन्त कुमार]] का स्वागत', 'आवाज़ों जन्म बिजनौर जनपद [[उत्तर प्रदेश]] के घेरे', 'जलते हुए वन ग्राम राजपुर नवादा में 01 सितम्बर [[1933]] को और निधन भोपाल में 30 दिसम्बर 1975 को हुआ था| इलाहबाद विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत कुछ दिन आकाशवाणी भोपाल में असिस्टेंट प्रोड्यूसर रहे बाद में प्रोड्यूसर पद पर ज्वाइन करना था लेकिन तभी हिन्दी साहित्याकाश का बसंत'यह सूर्य अस्त हो गया| इलाहबाद में [[कमलेश्वर]], 'छोटे-छोटे सवाल' मार्कण्डेय और दूसरी गद्य दुष्यन्त की दोस्ती बहुत लोकप्रिय थी वास्तविक जीवन में दुष्यन्त बहुत, सहज और मनमौजी व्यक्ति थे| कथाकार [[कमलेश्वर]] बाद में दुष्यन्त के समधी भी हुए| दुष्यन्त का पूरा नाम दुष्यन्त कुमार त्यागी था| प्रारम्भ में [[दुष्यंत कुमार |दुष्यन्त कुमार परदेशी]] के नाम से लेखन करते थे| जिस समय [[दुष्यंत कुमार]] ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील (तरक्कीपसंद) शायरों [[ताज भोपाली]] तथा कविता [[क़ैफ़ भोपाली]] का ग़ज़लों की किताबों दुनिया पर राज था । हिन्दी में भी उस समय [[अज्ञेय]] तथा [[गजानन माधव मुक्तिबोध]] की कठिन कविताओं का सृजन किया बोलबाला था । उस समय आम आदमी के लिए [[नागार्जुन]] तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे । इस समय सिर्फ़ ४२ वर्ष के जीवन में दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की [[निदा फ़ाज़ली]] उनके बारे में लिखते हैं
'''"दुष्यंत की नज़र उनके युग की नई पीढ़ी के ग़ुस्से और नाराज़गी से सजी बनी है. यह ग़ुस्सा और नाराज़गी उस अन्याय और राजनीति के कुकर्मो के ख़िलाफ़ नए तेवरों की आवाज़ थी, जो समाज में मध्यवर्गीय झूठेपन की जगह पिछड़े वर्ग की मेहनत और दया की नुमानंदगी करती है. "''' ।
दुष्यंत कुमार उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले थे । जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य हिन्दी साहित्याकाश में दुष्यन्त सूर्य की दुनिया तरह देदीप्यमान हैं| समकालीन हिन्दी कविता विशेषकर हिन्दी गज़ल के क्षेत्र में अपने कदम रखे उस जो लोकप्रियता दुष्यन्त कुमार को मिली वो दशकों बाद विरले किसी कवि को नसीब होती है| दुष्यन्त एक कालजयी कवि हैं और ऐसे कवि समय भोपाल काल में परिवर्तन हो जाने के दो प्रगतिशील (तरक्कीपसंद) शायरों ताज भोपाली तथा क़ैफ़ भोपाली बाद भी प्रासंगिक रहते हैं| दुष्यन्त का ग़ज़लों की दुनिया पर राज लेखन का स्वर सड़क से संसद तक गूँजता है| इस कवि ने आपात काल में बेख़ौफ़ कहा था । हिन्दी  '''मत कहो आकाश में भी उस समय अज्ञेय तथा गजानन माधव मुक्तिबोध कुहरा घना है'''  '''यह किसी की कठिन कविताओं व्यक्तिगत आलोचना है'''   इस कवि ने कविता ,गीत ,गज़ल ,काव्य नाटक ,कथा आदि सभी विधाओं में लेखन किया लेकिन गज़लों की अपार लोकप्रियता ने अन्य विधाओं को नेपथ्य में डाल दिया|  कृतियाँ:  [[सूर्य का बोलबाला था । उस समय आम आदमी स्वागत / दुष्यंत कुमार | सूर्य का स्वागत]]  [[आवाजों के लिए नागार्जुन तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे । इस समय सिर्फ़ ४२ वर्ष घेरे / दुष्यन्त कुमार | आवाज़ों के जीवन में घेरे]] [[जलते हुए वन का वसन्त / दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की | जलते हुए वन का वसन्त]]  (सभी कविता संग्रह)निदा फ़ाज़ली उनके बारे  [[साये में लिखते हैं '' "धूप / दुष्यंत की नज़र उनके युग की नई पीढ़ी के ग़ुस्से और नाराज़गी से सजी बनी है. यह ग़ुस्सा और नाराज़गी उस अन्याय और राजनीति के कुकर्मो के ख़िलाफ़ नए तेवरों की आवाज़ थी, जो समाज कुमार | साये में मध्यवर्गीय झूठेपन धूप]] (ग़ज़ल संग्रह)। [[एक कंठ विषपायी / दुष्यन्त कुमार | एक कण्ठ विषपायी]] (काव्य-नाटिका) आदि दुष्यन्त की जगह पिछड़े वर्ग की मेहनत और दया की नुमानंदगी करती प्रमुख कृतियाँ हैं|आपके नाम पर [[दुष्यंत कुमार सम्मान]] पुरस्कार प्रारंभ किया गया है. " '' ।</poem>
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