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शिव / शिवदीन राम जोशी

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मृगछाल बाघम्बर आसन की,
छवि छाज रही अहो अपरंपारा |
बाज रही डमरू कर में,
व आवाज भली जग जानत सारा |
शिवदीन सदा शिव सहायक है,
वर दायक दानी वे दाता हमारा |
<poem>
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