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{{KKRachna
|रचनाकार= तुफ़ैल चतुर्वेदी
|संग्रह=सारे वरक़ तुम्हारे / तुफ़ैल चतुर्वेदी
 
}}
{{KKCatGhazal}}
अब समझौता होना है
लौटेगी फिर देर से घर फिर वावैला होना है
अगर न तेरे हाथ छुयेँ
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