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|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
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<Poem>
फटे बांस में
पैर अड़ा कर
चलता था उसका खाता
इसे डराए
उसे सताए
बनाता बनता सबका तारनहार
किससे कितना
बाहुबली था
राजनीति में-
पाँव जमाकर छोडी छोड़ी छाप
बना सरगना
अपने दल का
आया जल्दी
माटी उसका था खाता
</poem>