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शेर-1 / असर लखनवी

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[[Category: शेर]]
<poem>
(1)अच्छा है डूब जाये सफीना <sup>1</sup> हयात <sup>2</sup> का,उम्मीदो-आरजूओं का साहिल <sup>3</sup> नहीं रहा।(2)अपने वो रहनुमा<sup> 4</sup> हैं कि मंजिल तो दरकनार<sup>5</sup>,कांटे रहे - तलब में बिछाते चले गए।(3)अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई,शम्ए-हयात<sup>6</sup> मौत के सांचे मे ढल गई।(4)इक फूल है अंदेशा नहीं जिसको खिजाँ <sup>7</sup>का,वह जख्म जिसे आप ने दामन से हवा दी।(5)इतना तो सोच जालिम जौरो-जफा<sup>8</sup> से पहले,यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।
</poem>
1.सफीना - नाव, नौका, किश्ती 2.हयात-जिन्दगी 3.साहिल - किनारा, तट।
*****  अपने वो रहनुमा हैं कि मंजिल तो दरकनार, कांटे रहे - तलब में बिछाते चले गए।  1.रहनुमा 4रहनुमा - मार्ग दिखाने वाला, प्रथ-प्रदर्शक 25. दरकनार - एक तरफ,अलग  ***** अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई, शम्ए-हयात मौत के सांचे मे ढल गई।  16.शम्ए-हयात - जिन्दगी की शम्अ। *****इक फूल है अंदेशा नहीं जिसको खिजाँ का, वह जख्म जिसे आप ने दामन से हवा दी।  17.खिजाँ - पतझड़ की ऋतु *****  इतना तो सोच जालिम जौरो-जफा से पहले, यह रस्म दोस्ती की दुनिया से उठ जायेगी।  1.जौरो8जौरो-जफा - अत्याचार, अन्याय, जुल्मो-सितम  </poem>
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